जहाँ चिड़ियाँ घनेरी झाड़ियों में चहचहाती हों जहाँ शाख़ों पे कलियाँ नित नई ख़ुशबू लुटाती हों और उन पर कोयलें कू कू के मीठे गीत गाती हों वहाँ मैं हूँ मिरी हम-जोलियाँ हों और झूला हो जहाँ बरसात के मौसम में सब्ज़ा लहलहाता हो हवा की छेड़ से एक एक पत्ता थरथराता हो जहाँ चश्मों का पानी नर्म लय में गुनगुनाता हो वहाँ मैं हूँ मेरी हम-जोलियाँ हों और झूला हो जहाँ ऊँचे पहाड़ों पर घटाएँ घिर के आती हों हवा की गोद में नीलम की परियाँ मुस्कुराती हों और अपने नीलगूँ होंटों से मोती में लुटाती हों वहाँ मैं हूँ मेरी हम-जोलियाँ हों और झूला हो जहाँ नहरों में बहता पानी मोती सा छलकता हो जहाँ चारों तरफ़ गुलज़ार में सब्ज़ा लहकता हो जहाँ फूलों की ख़ुशबुओं से बन का बन महकता हो वहाँ मैं हूँ मिरी हम-जोलियाँ हों और झूला हो जहाँ फूलों की ख़ुशबुओं से बन का बन महकता हो जहाँ बाग़ों में और खेतों में हर या दिल लहकता हो जहाँ टेसू के इक इक फूल में शो'ला दहकता हो वहाँ मैं हूँ मिरी हम-जोलियाँ हों और झूला हो जहाँ आमों के हों बाग़ और कोई रखवाला न हो हरगिज़ कोई कुत्ता भी माली ने जहाँ पाला न हो हरगिज़ और अम्माँ जी सा कोई देखने वाला न हो हरगिज़ वहाँ मैं हूँ मिरी हम-जोलियाँ हों और झूला हो इलाही मेरे दिल की आरज़ू जल्दी से पूरी हो वहाँ ले चल जहाँ इस फ़स्ल में जाना ज़रूरी हो मरी हो शिमला हो सोलन हो दलहोज़ी मसूरी हो वहाँ मैं हूँ मिरी हम-जोलियाँ हों और झूला हो