वो नज़्म जो मैं ने तुम पे लिखी वो शे'र जो मैं ने पलकों से दिल-काग़ज़ पर तहरीर किया वो नज़्म जो तुम ने मुझ पे लिखी जो बूँद बराबर रिश्ते से नम मिट्टी में परवान चढ़ी वो नज़्म हमारी बाँहों में जब बाँहें डाल के हँसती है वो शे'र तुम्हारे क़दमों से जब क़दम मिला कर चलता है मैं सोचती हूँ इस धरती पर हम दोनों जैसा शाइ'र कोई और नहीं