एक नज़्म By Nazm << हम वक़्त के सहरा में एक नज़्म >> जब मैं ने तुम्हारा जिस्म छुआ मिरे अंदर कोई और था जिस ने और किसी का जिस्म छुआ औरों की बेताब छुवन में फिर मुझ जैसा फिर तुम जैसा कोई और था जिस ने और किसी का जिस्म छुआ Share on: