आओ तुम्हें इक खेल बताएँ छोटा सा इक गाँव बसाएँ इस में खेत और बाग़ लगाएँ जब इन बाग़ों में फल आएँ सब आपस में बाँट के खाएँ आओ तुम्हें इक खेल बताएँ हुक्म हुआ इस गाँव के अंदर धरती का मालिक है ईश्वर राजा किसाँ सब उस के चाकर सब उस आगे सीस नवाएँ आओ तुम्हें इक खेल बताएँ मिल कर कर दें हुक्म ये जारी काहिल रहना जुर्म है भारी और है पाप बड़ा बेकारी काम करें जो वो सुख पाएँ आओ तुम्हें इक खेल बताएँ लड़ने में नहीं कोई बुराई हो जाती है मन की सफ़ाई रहे न लेकिन सदा लड़ाई लड़ें भिड़ें ख़ुद ही मन जाएँ आओ तुम्हें इक खेल बताएँ धोंस किसी की हो न किसी पर मुखिया सेवक एक बराबर काम करें जो सब से बढ़ कर 'ज़ेब' वही अच्छे कहलाएँ आओ तुम्हें इक खेल बताएँ