एक सवाल By Nazm << फ़ेस बुक एक सच >> गर ये तय है जो कुछ भी हुआ पहले से लिखा था क़िस्मत में फिर तुम ने जितना ज़ुल्म किया और हम ने जितना सब्र किया वो किस खाते में जाएगा मजबूर महज़ हैं जब हम सब फिर अद्ल की सूरत है कोई ये जन्नत दोज़ख़ जज़ा सज़ा इन सब की ज़रूरत है कोई Share on: