कहते हैं आज़ाद हो जाता है जब लेता है साँस याँ ग़ुलाम आ कर करामत है ही इंग्लिस्तान की उस की सरहद में ग़ुलामों ने जो है रखा क़दम और कंकर पाँव से एक इक के बेड़ी गिर पड़ी क़ल्ब-ए-माहिय्यत में इंग्लिस्तान है गर कीमियाई कम नहीं कुछ क़ल्ब-ए-माहिय्यत में हिन्दोस्तान भी आन कर आज़ादियाँ आज़ाद रह सकता नहीं वो रहे हो कर ग़ुलाम इस की हवा जिन को लगी