तेरे दम से फिर वतन वालों में पैदा हो हयात पंजा-ए-अग़्यार से हो हिन्द को हासिल नजात काम आ जाए वतन की राह में तेरा शबाब ग़ैरतें ज़िंदानियों की फिर उलट डालें नक़ाब तू बदल डाले निज़ाम-ए-हिंद के लैल-ओ-नहार ये ग़ुलाम आबाद हो आज़ाद मुल्कों में शुमार आस्तीन-ए-हिन्द हो तेरे लहू से लाला-फ़ाम पादशाहों का लक़ब पाने लगें हिन्दी ग़ुलाम हड्डियाँ पिस कर बनें ग़ाज़ा उरूस-ए-हिन्द का हुस्न फिर हो जाए कुछ ताज़ा उरूस-ए-हिन्द का तेरे होंटों से ब-वक़्त-ए-मर्ग ये निकले सदा नौजवानान-ए-वतन आगे बढ़ो आगे ज़रा