शाइ'री By Nazm << शायद रौशनी >> मुख़्तसर सवाल दो और दो का होता है जिस का जवाब मुश्तरका तौर पर एक ही होता है बात आज़ाद और फ़ितरी चले तो कभी कभी वज़्न-ना-आश्ना होते हुए भी मुकम्मल और जदीद होने के मवाक़े' या उम्मीद पैदा करती है Share on: