रौशनी By Nazm << शाइ'री नुसरत फ़त्ह अली ख़ान के ल... >> तुम वो साहिल कि पानियों से गुरेज़ाँ मैं काग़ज़ की नाव में जलता दिया उम्मीद से पुर-उम्मीद कि नाव साहिल तक न भी पहुँचे तो क्या ग़म है रौशनी तो रौशनी है तुम तक पहुँचेगी ज़रूर Share on: