ए'तिराफ़ By Nazm << इल्तिजा एक लड़की >> ख़ुदाया मुझे एक इंसाँ बना कर तुझे क्या मिला अगर तू मुझे पेड़ की शक्ल देता तो मुमकिन था मैं भी हज़ारों बरस तक इबादत में मशग़ूल रहता मैं इंसान हो कर तुझे कुछ नहीं दे सका हूँ सरापा गुनाहों में डूबा हुआ हूँ Share on: