न अब हम साथ सैर-ए-गुल करेंगे न अब मिल कर सर-ए-मक़्तल चलेंगे हदीस-ए-दिल-बराँ बाहम करेंगे न ख़ून-ए-दिल से शरह-ए-ग़म करेंगे न लैला-ए-सुख़न की दोस्त-दारी न गम-हा-ए-वतन पर अश्क-बारी सुनेंगे नग़्मा-ए-ज़ंजीर मिल कर न शब भर मिल के छलकाएँगे साग़र ब-नाम-ए-शाहिद-ए-नाज़ुक-ख़यालाँ ब-याद-ए-मस्ती-ए-चश्म-ए-ग़ज़ालाँ ब-नाम-ए-इम्बिसात-ए-बज़्म-ए-रिंदाँ ब-याद-ए-कुल्फ़त-ए-अय्याम-ए-ज़िंदाँ सबा और उस का अंदाज़-ए-तकल्लुम सहर और उस का आग़ाज़-ए-तबस्सुम फ़ज़ा में एक हाला सा जहाँ है यही तो मसनद-ए-पीर-ए-मुग़ाँ है सहर-गह अब उसी के नाम साक़ी करें इत्माम-ए-दौर जाम साक़ी बिसात-ए-बादा-ओ-मीना उठा लो बढ़ा दो शम-ए-महफ़िल बज़्म वालो पियो अब एक जाम-ए-अल-विदाई पियो और पी के साग़र तोड़ डालो