मैं ने जो गीत तिरे प्यार की ख़ातिर लिक्खे आज उन गीतों को बाज़ार में ले आया हूँ आज दुक्कान पे नीलाम उठेगा उन का तू ने जिन गीतों पे रखी थी मोहब्बत की असास आज चाँदी के तराज़ू में तुलेगी हर चीज़ मेरे अफ़्कार मिरी शाइरी मेरा एहसास जो तिरी ज़ात से मंसूब थे उन गीतों को मुफ़लिसी जिंस बनाने पे उतर आई है भूक तेरे रुख़-ए-रनगीं के फ़सानों के एवज़ चंद अशिया-ए-ज़रूरत की तमन्नाई है देख इस अरसा-ए-गह-ए-मेहनत-ओ-सरमाया में मेरे नग़्मे भी मिरे पास नहीं रह सकते तेरे जल्वे किसी ज़रदार की मीरास सही तेरे ख़ाके भी मिरे पास नहीं रह सकते आज उन गीतों को बाज़ार में ले आया हूँ मैं ने जो गीत तिरे प्यार की ख़ातिर लिक्खे