ख़ुदा को अपने हम-ज़ाद का इंतिज़ार By कशमकश, Nazm << राम फ़नकार >> उदास है तो बहुत ख़ुदाया कोई न तुझ को सुनाने आया वो सर जो तेरे उजाड़ दिल में चराग़ बन कर चमक रही है कोई न तुझ को दिखाने आया अजीब हुस्न मुहीब जैसी ख़लिश जो दिल में खटक रही है Share on: