फैंटेसी By Nazm << नक़ली फूल शायर >> रात जमाइयाँ ले रही है वस्ल की सीपी जिस्म से गुहर फूट रहे हैं एक अजनबी लड़की आँखों में आँखें डाले नंगी और उकड़ूँ बैठी हुई है वो चमन की आन है और जान उस की रात की रानी में रहती है सोच रहा हूँ मैं उस की अलमारी में अपने आप को तह कर के रख दूँ Share on: