बेवा हैं नाला-ए-ग़म है बा-असर हमारा तड़पाएगा दिलों को दर्द-ए-जिगर हमारा सरताज उठ गया है आख़िर किधर हमारा वीराँ हो गया है आबाद घर हमारा इबरत की जा है फिरना यूँ दर-ब-दर हमारा कोई नहीं है ऐसा दुखिया की जो दुआ ले बेकस यतीम बच्चे को क्यों कोई सँभाले किस को ग़रज़ है ऐसी जो गोद में उठा ले है कौन तुम में ऐसा छाती से जो लगा ले मुँह तक रहा है सब का लख़्त-ए-जिगर हमारा दिल से दुआ है दाता दे इस से भी ज़ियादा ख़ैरात जान-ओ-तन की बच्चों का अपने सदक़ा हम को भी हो इनायत रोटी का एक टुकड़ा तन ढाँकने की ख़ातिर कपड़ा कोई पुराना देखो बिलक रहा है नूर-ए-नज़र हमारा हम भीक माँगने को आए तुम्हारे आगे इबरत के हैं करिश्मे इबरत के हैं तमाशे क़ुर्बान जान-ओ-दिल से वारी तुम्हारे सदक़े ऐ भाइयो हैं आख़िर हम भी ख़ुदा के बंदे मिल जाए कुछ हमें भी हक़ हो अगर हमारा 'बासित' हमें यक़ीं है हो बे-क़रार तुम भी हम ग़म-ज़दों के दिल से हो ग़म-गुसार तुम भी ख़स्ता-जिगर हो तुम भी हो दिल-फ़िगार तुम भी हालत है वो हमारी हो अश्क-बार तुम भी सुन लो कभी जो नाला पिछले पहर हमारा