आओ चलें फ़व्वारा देखें पानी का नज़्ज़ारा देखें देख कर मंज़र प्यारा प्यारा जी ख़ुश हो जाए हमारा फ़व्वारा है हौज़ के अंदर जैसे हो तालाब में मंदर हौज़ के चारों जानिब गमले ख़ूब हैं क़रीने से रक्खे गमलों में पौदों के पत्ते आँखों को हैं तरावत देते फ़व्वारे का उबलना देखो फिर पानी का उछलना देखो यूँ उड़ते हैं पानी के क़तरे जैसे कोई महताबी छूटे पौदों पे क़तरों का बिखरना पत्तों का धुल धुल के निखरना काम ये कब हो और किसी से बाग़ ने रौनक़ पाई इसी से 'नय्यर' देखने आओ तुम भी आओ दिल बहलाओ तुम भी