क्या रात में बिस्तर ख़ाली रखना अच्छा होता है बहुत तनदही से काम कर रहे हो ज़रा भी इधर नहीं देख रहे देखो इधर देखो यहाँ जहाँ मैं पड़ी हुई हूँ तुम्हारी पेंटिंगज़ की किताबों की तरह जिन्हें तुम ने कल के लिए उठा रखा है ठीक है कह लो मुझे बे-शर्म अब सिर्फ़ ये अंडरवीयर बाक़ी है उसे भी उतार फेंकूँ तो क्या तुम मुड़ के देख लोगे देखो मैं अपनी अंडरवीयर भी तुम्हारी तरफ़ फेंक रही हूँ कल भी तुम ने यही किया था मैं तुम्हारे इंतिज़ार में लेटे लेटे सो गई और नींद में तौबा तुम्हें अपना ख़्वाब सुनाते हुए भी मेरे पसीने छूट रहे हैं ख़्वाब में बहुत से लोग एक बुल से मेरी लड़ाई देख रहे हैं वो अपनी सींगें मेरे जिस्म के हर हिस्से से टकरा रहा है में ख़ौफ़-ज़दा होते हुए भी उस की सींगों के वार अपने जिस्म पर पड़ते हुए ख़ुश हो रही हूँ तमाम तर अज़िय्यत के बावजूद लज़्ज़तों के लहू में नहाई हुई लहूलुहान होते हुए एक बार मैं ने उसे अपने ऊपर चढ़ा ही लिया सींगों को पकड़ते हुए मेरी आँख खुल गई मैं ज़मीन पर चित पड़ी थी तुम्हारी मसरूफ़ियत ने तो मेरी जान ही ले ली है