नाचिये नाचिये पायल के बग़ैर जिस्म उर्यां ही रहे शोला-अफ़्शाँ ही रहे नाचिये नाचिये भूक और मौत का रक़्स मेरे बंगाल का रक़्स नाचिये सोचती क्या हैं, उठिए आप बंगाल से कब आई हैं नग़्मा ओ रक़्स का पैकर बन कर जिस्म को बेचिए पत्थर बन कर नाचिये नाचिये मैं पागल हूँ यूँही बका करता हूँ