हमें चाहिए रोज़ अच्छे खिलौने इमिर्ति क़लाक़ंद रबड़ी के दोने हम स्कूल जाएँगे कुछ लेट हो कर अभी नौ बजे हैं अभी दीजे सोने हमें आज सर्कस का शो देखना है वो झूलों के कर्तब मज़े करते बौने ये इतवार आएगा फिर सात दिन में ये पिकनिक के पल हैं बड़े ही सलोने बड़ी जान खाते हैं ये मम्मी डैडी न आँगन हमारा न कमरे के कोने हुए फ़ेल आख़िर नहीं पढ़ने वाले दुआएँ भी माँगीं किए जादू टोने कहा वक़्त ने इल्म से दिल लगाओ 'नियाज़' इम्तिहाँ में लगे हम जो रोने