राहबर देश-भगती का वो शाह था इक लंगोटी का वो प्यार के वो लुटाता था फूल था अहिंसा उसी का उसूल नर्मी से ज़िंदगी तंग की उस ने अंग्रेज़ों से जंग की हौसले हो गए उन के पस्त आन पहुँची जो पंद्रह अगस्त दिल हर इक शाद हो ही गया देश आज़ाद हो ही गया दोस्ती का सबक़ दे गया मर के जावेद वो हो गया फिर करें याद उस के उसूल और चढ़ाएँ अक़ीदत के फूल