ऐ नेचर के राज दुलारे ऐ फ़ितरत की आँख के तारे मेहनत का फल पाने वाले काँधे पर हल ले जाने वाले सदियाँ पलटें दुनिया बदले या मुल्कों का नक़्शा बदले कुछ से कुछ हों रंग फ़ज़ा के चर्ख़ से बरसें आग के शो'ले धीमी हो या तुंद हवा हो आलम हर वादी का नया हो चर्ख़ हज़ारों पलटे खाए क्या मुमकिन जो तुझ को सताए सारे जहाँ में जंग छिड़ी हो दुनिया भर में आग लगी हो क्यों हो शोरिश तेरी सदा में अम्न हो जब खेतों की फ़ज़ा में गीत ही तेरा नग़्मा-ए-शादी तुझ पर सदक़े हर आज़ादी सब पर हावी हिम्मत तेरी सच्ची है ये शौकत तेरी वक़्त को तू ग़फ़्लत में न खोए खेत में तू काँटों को न बोए घास है तेरा बिस्तर-ए-मख़मल ओढ़ने को बोसीदा कमल जंगल झाड़ी बस्ती तेरी शाह से बेहतर हस्ती तेरी तू है और ज़माना तेरा हम हैं और फ़साना तेरा