अब गर्मी आ जाएगी नाक चने चबवाएगी सूरज सर पर आएगा परछाईं छुप जाएगी तप के ज़मीं अब सूरज से ताँबा सी हो जाएगी धूप में चलने फिरने से देखना लू लग जाएगी होंट तिरी कोसेंगे ख़ुश्क ज़बाँ हो जाएगी शर्बत और फ़ालूदे से दिल की कली खिल जाएगी बर्फ़ बनेगी कसरत से घर घर बिकने आएगी ठंडे पानी से ख़स की टट्टी छिड़की जाएगी गर्मी की गरमा गर्मी देखना नाच नचाएगी काम से जी उकताएगा जिस्म में जाँ बौलाएगी ऐसी गर्मी में क्यों कर नज़्म ये लिखी जाएगी