बहुत समय की बात है भय्या नन्ही सी थी एक चरय्या इधर-उधर उड़ती रहती थी उसे सभी कहते गौरय्या थी वो बेहद भोली-भाली जैसे अल्लह मियाँ की गय्या खोजे हर दम दाना दुन्का छीने बच्चों से वो लय्या कच्ची छत में छप्पर नीचे काटे अपनी जीवन नय्या बच्चे उस के लोन्दे बूँदे मांस के टुकड़े जैसे भय्या