ग़रीबों की दुनिया में इशरत न ढूँढो मसर्रत न ढूँढो सआ'दत न ढूँढो ग़रीबों की दुनिया में दौलत न ढूँढो जो पस्ती है पस्ती में रिफ़अत न ढूँढो ग़रीबों की दुनिया में राहत न ढूँढो ग़रीबों की दुनिया में राहत नहीं है ग़रीबों की दुनिया है इज़्ज़त से ख़ाली ग़रीबों की दुनिया है ज़ीनत से ख़ाली हर इक अज़्मत-ओ-शान-ओ-शौकत से ख़ाली ये दुनिया है नूर-ए-मसर्रत से ख़ाली ग़रीबों की दुनिया में राहत न ढूँढो ग़रीबों की दुनिया में राहत नहीं है नहीं है ग़रीबों का ग़म-ख़्वार कोई तरफ़-दार कोई मदद-गार कोई नहीं है ग़रीबों का दिलदार कोई नहीं है ग़रीबी सा आज़ार कोई ग़रीबों की दुनिया में राहत न ढूँढो ग़रीबों की दुनिया में राहत नहीं है भले को बुरा कर दिखाती है ग़ुर्बत बहादुर को बुज़दिल बनाती है ग़ुर्बत बुराई की रग़बत दिलाती है ग़ुर्बत ज़लालत में आख़िर गिराती है ग़ुर्बत ग़रीबों की दुनिया में राहत न ढूँढो ग़रीबों की दुनिया में राहत नहीं है