घुटन By Nazm << खोई खोई रात ख़्वाब-कार >> दूर तक फ़ज़ाओं में जब घुटन का पहरा हो ज़र्द-रू बगूले हों मुंजमिद सा दरिया हो पेड़ सूखे सूखे हों फूल लू में जलते हों सब मकान वीराँ हों शहर सूना सूना हो जब भी ऐसा मौसम हो मुझ को याद कर लेना खिलखिलाते सावन का कुछ ख़याल कर लेना Share on: