गूँज By Nazm << जागते रहो एक तअस्सुर >> गुम हुआ जाता है आफ़ाक़ में धीरे धीरे मेरा नग़्मा मिरे लहजे का मुक़द्दस अंदाज़ बाज़गश्त उस की मगर अब भी है क़ैद समाअ'त के हसीं ज़िंदाँ में Share on: