ये जा कर कोई बज़्म-ए-ख़ूबाँ में कह दो कि अब दर-ख़ोर-ए-बज़्म-ए-ख़ूबाँ नहीं मैं मुबारक तुम्हें क़स्र-ओ-ऐवाँ तुम्हारे वो दिल-दादा-ए-क़स्र-ओ-ऐवाँ नहीं मैं जवानी भी सरकश मोहब्बत भी सरकश वो ज़िंदानी-ए-ज़ुल्फ़-ए-पेचाँ नहीं मैं तड़प मेरी फ़ितरत तड़पता हूँ लेकिन वो ज़ख़्मी-ए-पैकान-ए-मिज़्गाँ नहीं मैं धड़कता है दिल अब भी रातों को लेकिन वो नौहा-गर-ए-दर्द-ए-हिज्राँ नहीं मैं ब-ईं तिश्ना-कामी ब-ईं तल्ख़-कामी रहीन-ए-लब-ए-शक्कर-अफ़्शाँ नहीं मैं शराब ओ शबिस्ताँ का मारा हूँ लेकिन वो ग़र्क़-ए-शराब-ए-शबिस्ताँ नहीं मैं क़सम नुत्क़ की शोला-अफ़्शानियों की कि शाएर तो हूँ अब ग़ज़ल-ख़्वाँ नहीं मैं