ग़ुस्सैला परिंदा एक दिन उसे खा जाएगा By Nazm << राह-नुमा बन जाऊँ हर्कुलेस और पाटे-ख़ाँ की ... >> इक मौजूद मैं ख़ौफ़ का बेहद रात समुंदर छल-छल छलके ना-मौजूद की इक मौहूम सी रौशन मछली फड़के उभरे डूबे एक ग़ुस्सैले सच का बे-रंग ताइर ना-मालूम से ना-मालूम तलक अपने पर फैलाए साएँ साएँ उस पर झपटे नन्ही मछली कब तक ख़ुद को बचाए Share on: