हैदराबाद दिल की सूरत है दिल धड़कता है साँस चलती है आरज़ू ज़िंदगी की पलती है हैदराबाद इक मोहब्बत है हैदराबाद है क़ुली का दिल जिस में मिलता है हुस्न-ए-भाग-मती और इस शहर-ए-शेर-ओ-नग़्मा की ज़िंदगी है कि प्यार की सिल क़िबला-ए-दिल कहूँगा मैं इस को हैदराबाद है वतन मेरा रश्क-ए-जन्नत है ये चमन मेरा ये नहीं है तो क्या है तुम ही कहो ज़ख़्म उल्फ़त का भर नहीं सकता हैदराबाद मर नहीं सकता