रेख़्ता जिस का बड़ा नाम है क्या अर्ज़ करूँ ये हमारे लिए इनआ'म है क्या अर्ज़ करूँ फ़ाल नेक इस का है उर्दू के लिए अपना वजूद जिस का फ़ैज़ान-ए-नज़र आम है क्या अर्ज़ करूँ आप ख़ुद देख लें कहने पे न जाएँ मेरे वो भी इस में है जो गुमनाम है क्या अर्ज़ करूँ मेरा मजमूआ-ए-अशआर है इस की ज़ीनत बादा-ए-शौक़ का ये जाम है क्या अर्ज़ करूँ अपनी मीरास-ए-अदब करते हैं कैसे महफ़ूज़ इस का सब के लिए पैग़ाम है क्या अर्ज़ करूँ किसी मुस्लिम को न दी इस की ख़ुदा ने तौफ़ीक़ आप भी देख लें क्या काम है क्या अर्ज़ करूँ ये कुतुब-ख़ाना-ए-मारूफ़ अदब का 'बर्क़ी' ऐसी इक जल्वा-गह-ए-आम है क्या अर्ज़ करूँ