इस दुनिया से कभी दिल न लगाना तुम इस दुनिया पर फ़रेफ़्ता न होना तुम ये रंगीनियाँ ये मस्तियाँ सब आलम-ए-फ़ानी है याद रखना तुम हुस्न-ए-ज़ाहिर से धोका न खाना ये कूच कर जाने का घर है ठिकाना नहीं है ये सदा का ग़ाफ़िल न हो रास्ता मुख़्तसर है ज़िंदगी ये इम्तिहाँ की डगर है फ़ना हो जाएगी आख़िर यही इस की हक़ीक़त है रहे आख़िरत की फ़िक्र सदा कुछ तो हो जाए सामान-ए-सफ़र पैदा अचानक कान में मेरे कहा ये मौत ने आ कर