फूल खिलेंगे गुलशन में दीप जलेंगे आँगन में दिल न किसी का हम तोड़ेंगे अहद है अपना बचपन में रखेंगे माँ बाप की लाज चमकेंगे इल्म-ओ-फ़न में बाहम मिल के रहेंगे हम खोट न रक्खेंगे मन में दुनिया हम को देखेगी एक नए पैराहन में फैलेंगे ख़ुश्बू की तरह धरती के इस आँगन में दिल में जो रखता है लालच रहता है वो उलझन में हम बच्चे हैं हम शहज़ादे खेलेंगे हर आँगन में जो है समझता झूटा हम को चेहरा देखे दर्पन में इल्म का जिस को शौक़ नहीं है ख़ाक है इस के दामन में ऊँची ऊँची बात नहीं है ऊँची हिम्मत है मन में 'शौकत' इक दिन लाएँगे बच्चे ख़ुशियाँ जीवन में