शेर हैं चलते हैं दर्राते हुए बादलों की तरह मंडलाते हुए ज़िंदगी की रागनी गाते हुए आज झंडा है हमारे हाथ में हम वो हैं जो बे-रुख़ी करते नहीं हम वो हैं जो मौत से डरते नहीं हम वो हैं जो मर के भी मरते नहीं आज झंडा है हमारे हाथ में चैन से महलों में हम रहते नहीं ऐश की गंगा में हम बहते नहीं भेद दुश्मन से कभी कहते नहीं आज झंडा है हमारे हाथ में जानते हैं एक लश्कर आएगा तोप दिखला कर हमें धमकाएगा पर ये झंडा भी यूँही लहराएगा आज झंडा है हमारे हाथ में कब भला धमकी से घबराते हैं हम दिल में जो होता है कह जाते हैं हम आसमाँ हिलता है जब गाते हैं हम आज झंडा है हमारे हाथ में लाख लश्कर आएँ कब हिलते हैं हम आँधियों में जंग की खिलते हैं हम मौत से हँस कर गले मिलते हैं हम आज झंडा है हमारे हाथ में