कितनी मेहनत से पढ़ाते हैं हमारे उस्ताद हम को हर इल्म सिखाते हैं हमारे उस्ताद तोड़ देते हैं जहालत के अँधेरों का तिलिस्म इल्म की शम्अ' जलाते हैं हमारे उस्ताद मंज़िल-ए-इ'ल्म के हम लोग मुसाफ़िर हैं मगर रास्ता हम को दिखाते हैं हमारे उस्ताद ज़िंदगी नाम है काँटों के सफ़र का लेकिन राह में फूल बिछाते हैं हमारे उस्ताद दिल में हर लम्हा तरक़्क़ी की दुआ करते हैं हम को आगे ही बढ़ाते हैं हमारे उस्ताद सब को तहज़ीब-ओ-तमद्दुन का सबक़ देते हैं हम को इंसान बनाते हैं हमारे उस्ताद हम को देते हैं ब-हर-लम्हा पयाम-ए-ता'लीम अच्छी बातें ही बताते हैं हमारे उस्ताद ख़ुद तो रहते हैं बहुत तंग-ओ-परेशान मगर दौलत-ए-इल्म लुटाते हैं हमारे उस्ताद हम पे लाज़िम है कि हम लोग करें उन का अदब किस मोहब्बत से बढ़ाते हैं हमारे उस्ताद