वो लड़की किसी और बस्ती की रहने वाली थी जो पत्थर पे फूल उगाने की ख़्वाहिश में उँगलियाँ ज़ख़्मी कर बैठी सुना है उस की बस्ती में फूल और मोहब्बत जीवन का लाज़मी हिस्सा थे वहाँ लफ़्ज़ों में फूल खिलते थे और आँखों से मोहब्बत की किरनें फूटती थीं जो कोई उस बस्ती में आता चंद अच्छे लफ़्ज़ों के बदले ढेरों मोहब्बत ले जाता एक दिन उस बस्ती में इक जादू-गर आया और उस ने ऐसा मंतर फूँका कि सारी बस्ती पत्थर हो गई लड़की जो कहीं बाहर गई थी वापस आई तो उस की दुनिया बदल चुकी थी उस दिन से वो लड़की जहाँ कहीं भी पत्थर देखती है उन्हें फूल बनाने की कोशिश में ज़ख़्मी हो जाती है