हमारी ईद By Nazm << हयात-ए-जाविदाँ एक दिल एक आवाज़ >> ख़ुशी के दौर में दिल को ख़ुशी नहीं होती नसीब अपने लबों की हँसी नहीं होती ज़माने भर के लिए रोज़-ए-ईद है 'तकमील' हमारी ईद के दिन ईद भी नहीं होती Share on: