उर्दू कहो या हिन्दोस्तानी इस की बड़ाई दुनिया ने मानी आपस की मिल्लत मक़्सूद इस का उल्फ़त की ख़ूगर वहदत की बानी गुज़रे हुओं के दिल की दुलारी बीते दिनों की दिलकश कहानी है इत्तिहाद-ए-क़ौमी का नग़्मा आग़ाज़ इस का उस की जवानी अहल-ए-वतन थे आपस में यक दिल इस बात की है उर्दू निशानी होने को हैं गो सदहा ज़बानें पर इस के आगे भरती हैं पानी उत्तर से दक्षिन पूरब से पच्छिम हर सम्त इस की है हुक्मरानी हिन्दू भी शैदा मुस्लिम भी शैदा है सारी ख़िल्क़त इस पर दिवानी हों क्यूँ न इस के सब लोग हामी है ये सरासर हिन्दोस्तानी मिलती है खुल कर हर इक ज़बाँ से इस बात में है कौन इस का सानी तर्ज़-ए-निगारिश गर देख पाएँ रह जाएँ हैराँ बहज़ाद-ओ-मानी इस की फ़साहत इस की बलाग़त इस की सलासत इस की रवानी रंगीन क़िस्से नॉवेल अनोखे दिलचस्प नज़्में शीरीं-ज़बानी जादू-निगारी शेवा-बयानी सनअ'त-तराज़ी गौहर-फ़िशानी हर बोल इस का मिस्री सा मीठा हर बात दिलकश हर लय सुहानी मेरी दुआ है ये मुद्दआ' है इस पर ख़ुदा की हो मेहरबानी 'नय्यर' जहाँ में फूले-फले ये जब तक है बाक़ी दुनिया-ए-फ़ानी