हमें फ़ख़्र है By बाल कविता, Nazm << हर हालत में माँ ठहरी गर्मी दुम दबा कर भागी >> होंटों पर है यही कहानी सात अजूबों में ला-सानी इस का कोई बदल नहीं है सारे जग ने बात ये मानी फ़ख़्र हमें है ताज-महल पर मरमर की शहकार ग़ज़ल पर Share on: