हरी जाली के पीछे सब्ज़ सय्यारा ज़मुर्रद आसमाँ मैं जो बोलूँ ख़्वाब की सूरत नज़र आऊँ मैं जो चूमूँ मोम की सूरत पिघल जाऊँ हरी जाली हरा गुम्बद हर उम्मीद का तारा ख़ुदाया इस जगह जिबरील आते थे ख़ुदाया इस जगह आयत उतरती थी जो बोलूँ ख़्वाब की सूरत नज़र आऊँ जो चूमूँ मोम की सूरत पिघल जाऊँ