हासिद By Nazm << एक नई ज़बान का सीखना नर्स >> एक दिन चाँदनी के सहर में रेत अपना जुनूँ तहरीर करने आऊँगा दूसरे सब ख़्वाब सारी चाहतें सारे निशाँ मैं समुंदर हूँ बहा जाऊँगा Share on: