शहर के हस्पताल में उस को एक हफ़्ता हुआ है आए हुए ''सात नंबर'' का काना ठेकेदार काँपता था जो देख कर नश्तर उस के ज़ख़्मों पे आज कल वो ख़ुद अपने हाथों से फाए रखती है लंगड़ा बुध-सेन ''ग्यारह नंबर'' का उस की आँखों में डाल कर आँखें घूँट कड़वी दवा के पीता है ''पाँच नंबर'' का दिक़-ज़दा शाएर देख कर उस को शेर कहता है वार्ड के कितने ही मरीज़ों से उस ने वादा किया है शादी का वार्ड के कितने ही मरीज़ों को तंदुरुस्ती बहाल होने पर उस के हम-राह घर बसाना है!