मुझे दे दे रसीले होंट मासूमाना पेशानी हसीं आँखें कि मैं इक बार फिर रंगीनियों में ग़र्क़ हो जाऊँ! मिरी हस्ती को तेरी इक नज़र आग़ोश में ले ले हमेशा के लिए इस दाम में महफ़ूज़ हो जाऊँ ज़िया-ए-हुस्न से ज़ुल्मात-ए-दुनिया में न फिर आऊँ गुज़िश्ता हसरतों के दाग़ मेरे दिल से धुल जाएँ मैं आने वाले ग़म की फ़िक्र से आज़ाद हो जाऊँ मिरे माज़ी ओ मुस्तक़बिल सरासर महव हो जाएँ मुझे वो इक नज़र इक जावेदानी सी नज़र दे दे