हवा बंद है साँस आती नहीं इस-क़दर शोर है कोई आवाज़ कानों में आती नहीं कब से ताज़ा गुलाबों की शाख़ों पे कलियों को खिलने की मोहलत नहीं मिल रही शहर में तुम भी हो हम भी हैं फिर भी दोनों को मिलने की फ़ुर्सत नहीं मिल रही सब के सब जब्र की हालतों में जिए जा रहे हैं किसी को भी अपनी मोहब्बत नहीं मिल रही हवा बंद है साँस आती नहीं इस-क़दर शोर है कोई आवाज़ कानों में आती नहीं