शराफ़तों के सर-ओ-पा उतार कर फेंकें चलें सड़क पे ज़रा घूमें फ़िक़रे चुस्त करें किसी को बे-वज्ह छेड़ें हँसी उड़ाएँ बुलाएँ बुला के प्यार करें सताएँ रास्ते चलते किसी मुसाफ़िर को ग़लत पता दें सड़क के बीच चलें ग़त्ता को पा के इतराएँ लगाएँ ठोकरें फूटबाल मान कर उस को लगे किसी के जो जा वो तो इधर उधर झांकें अंजान बनें सुनें न हॉर्न कोई और मरते मरते बचें कि बचते बचते हुए मरते उम्र बीत गई