रंगीन-पोश अर्ज़ के मल्बूस-ए-नाज़ पर बद-रंगियों की कैसी परत जम गई है आज रंगों की शोख़ तब्अ' घटा थम गई है आज बे-कैफ़ है ज़मीन का रंग आसमाँ का रंग ज़द में बुरी नज़र के है दौर-ओ-ज़माँ का रंग हैं सब्ज़-ओ-ज़र्द चश्मों से आँखें ढकी हुईं आँखों को क्या दिखाई दे हिन्दोस्ताँ का रंग