होली

हुआ जो आ के निशाँ आश्कार होली का
बजा रबाब से मिल कर सितार होली का

सुरूद रक़्स हुआ बे-शुमार होली का
हँसी ख़ुशी में बढ़ा कारोबार होली का

ज़बाँ पे नाम हुआ बार बार होली का
ख़ुशी की धूम से हर घर में रंग बनवाए

गुलाल अबीर के भर भर के थाल रखवाए
नशों के जोश हुए राग रंग ठहराए

झमकते रूप के बन बन के स्वाँग दिखलाए
हुआ हुजूम अजब हर कनार होली का

गली में कूचे में ग़ुल शोर हो रहे अक्सर
छिड़कने रंग लगे यार हर घड़ी भर भर

बदन में भीगे हैं कपड़े गुलाल चेहरों पर
मची ये धूम तो अपने घरों से ख़ुश हो कर

तमाशा देखने निकले निगार होली का
बहार छिड़कवाँ कपड़ों की जब नज़र आई

हर इश्क़-बाज़ ने दिल की मुराद भरपाई
निगह लड़ा के पुकारा हर एक शैदाई

मियाँ ये तुम ने जो पोशाक अपनी दिखलाई
ख़ुश आया अब हमें नक़्श-ओ-निगार होली का

तुम्हारे देख के मुँह पर गुलाल की लाली
हमारे दिल को हुई हर तरह की ख़ुश-हाली

निगह ने दी मय-ए-गुल-रंग की भरी प्याली
जो हँस के दो हमें प्यारे तुम उस घड़ी गाली

तो हम भी जानें कि ऐसा है प्यार होली का
जो की है तुम ने ये होली की तुर्फ़ा तय्यारी

तो हँस के देखो इधर को भी जान यक बारी
तुम्हारी आन बहुत हम को लगती है प्यारी

लगा दो हाथ से अपने जो एक पिचकारी
तो हम भी देखें बदन पर सिंगार होली का

तुम्हारे मिलने का रख कर हम अपने दिल में ध्यान
खड़े हैं आस लगा कर कि देख लें इक आन

ये ख़ुश-दिली का जो ठहरा है आन कर सामान
गले में डाल के बाँहें ख़ुशी से तुम ऐ जान

पहनाओ हम को भी इक दम ये हार होली का
उधर से रंग लिए आओ तुम इधर से हम

गुलाल अबीर मलें मुँह पे हो के ख़ुश हर दम
ख़ुशी से बोलें हँसें होली खेल कर बाहम

बहुत दिनों से हमें तो तुम्हारे सर की क़सम
इसी उम्मीद में था इंतिज़ार होली का

बुतों की गालियाँ हँस हंस के कोई सहता है
गुलाल पड़ता है कपड़ों से रंग बहता है

लगा के ताक कोई मुँह को देख रहता है
'नज़ीर' यार से अपने खड़ा ये कहता है

मज़ा दिखा हमें कुछ तू भी यार होली का


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