मिलने का तिरे रखते हैं हम ध्यान इधर देख भाती है बहुत हम को तिरी आन इधर देख हम चाहने वाले हैं तिरे जान इधर देख होली है सनम हँस के तू इक आन इधर देख ऐ रंग-भरे नौ-गुल-ए-ख़ंदाँ इधर देख हम देखने तेरा ये जमाल इस घड़ी ऐ जाँ आए हैं यही करके ख़याल इस घड़ी ऐ जाँ तू दिल में न रख हम से मलाल इस घड़ी ऐ जाँ मुखड़े पे तिरे देख गुलाल इस घड़ी ऐ जाँ होली भी यही कहती है ऐ जान इधर देख अब ज़र्द ये चेरा जो तिरे सर पे जमा है और इस पे ये तुर्रा जो ज़री का भी धरा है नीमा भी तिरा रंग से केसर के भरा है पोशाक पे तेरी गुल-ए-सद-बर्ग फ़िदा है नर्गिस तिरी आँखों पे है क़ुर्बान इधर देख होली की तरब है जो हर इक जा में नुमूदार सुनते हैं कहीं राग कहीं मय से हैं सरशार है दिल में हमें तो तिरी नज़रों से सरोकार पिचकारी हमारे तू लगा या न लगा यार हम को तो फ़क़त है यही अरमान इधर देख है धूम से होली की कहीं शोर कहीं ग़ुल होता नहीं कुछ रंग छिड़कने में तअम्मुल दफ़ बजते हैं सब हँसते हैं और धूम है बिल्कुल होली की ख़ुशी में तो न कर हम से तग़ाफ़ुल ऐ जान हमारा भी कहा मान इधर देख है दीद की हर आन तलब दिल को हमारे जीते हैं फ़क़त तेरी निगाहों के सहारे हैं याँ जो खड़े आन के इस शौक़ के मारे हम एक निगह के तिरे मुश्ताक़ हैं प्यारे टुक प्यार की नज़रों से मिरी जान इधर देख हर चार तरफ़ होली की धूमें हैं अहा हा देखो जिधर आता है नज़र रोज़ तमाशा हर आन झमकता है अजब ऐश का चर्चा होली को 'नज़ीर' अब तू खड़ा देखे है याँ क्या महबूब ये आया अरे नादान इधर देख