है अपना यक़ीं देश के दीवाने सभी हैं इस शम्अ-ए-ज़िया-बार के परवाने सभी हैं हैं वक़्फ़ यहाँ इस की मोहब्बत के लिए हम जाँ दे देंगे इस देश की अज़्मत के लिए हम कोई भी हमें इस से जुदा कर नहीं सकता हम से भी कोई इस का गिला कर नहीं सकता ता-ज़ीस्त इसी के लिए सरशार रहेंगे इस मय के हमेशा ही तलबगार रहेंगे इज़्ज़त को कभी इस की गिराने नहीं देंगे दुश्मन को कभी आँख उठाने नहीं देंगे उल्फ़त है तो आँखों के गुहर एक हैं अपने दो सम्त सही दिल तो मगर एक हैं अपने ज़िन्हार न 'शाहिद' बुरा आपस में कहेंगे हम एक थे हम एक हैं हम एक रहेंगे