रियाज़-ए-शौक़ में आई बहार ईद के दिन नज़र-फरोज़ हुआ रू-ए-यार ईद के दिन अदा अदा में इनायत नज़र नज़र में करम मिरी ख़िज़ाँ भी है अब तक बहार ईद के दिन हैं उन के जलवों की अर्ज़ानियाँ पयाम-ए-नशात नहीं है दिल में ग़म-ए-रोज़गार ईद के दिन दिल-ए-फ़सुर्दा में फिर ख़ून-ए-सरख़ुशी दौड़ा वो आ के मुझ से हुए हम-कनार ईद के दिन निगाह-ए-शौक़ पे परवाना-वार गिरती हैं तजल्लियाँ भी हैं बे-इख़्तियार ईद के दिन न उन की आँखों में ग़ुस्सा न कुछ जबीं पे शिकन बरस रहा है निगाहों से प्यार ईद के दिन निगाह-ए-मेहर की गर्मी है रौशनी दिल की है बज़्म-ए-शौक़ मिरी कामगार ईद के दिन वो फ़र्त-ए-शौक़ में हँस हँस के मिल रहे हैं गले है शाद 'जौहर'-ए-सीना-फ़िगार ईद के दिन