ऐ जमाल-ए-दोस्त तेरी दीद होनी चाहिए ग़म-ज़दों की भी तो आख़िर ईद होनी चाहिए जब नहीं है आप को तर्क-ए-तअ'ल्लुक़ का ख़याल आप ही के क़ौल से तरदीद होनी चाहिए मानता हूँ मैं कि बे-शक क़ौल के सच्चे हैं आप लेकिन अपने अहद की तज्दीद होनी चाहिए मेरी जानिब से सही तहरीक-ए-तकमील-ए-वफ़ा लेकिन इस को आप की ताईद होनी चाहिए आप ने तन्क़ीस कर दी दास्तान-ए-शौक़ की मेरा ये अरमान था तन्क़ीद होनी चाहिए हर क़दम पर रह-रव-ए-उल्फ़त को मंज़िल के लिए शौक़ होना चाहिए उम्मीद होनी चाहिए जो बयाँ इज़हार-ए-हर्फ़-ए-मुद्दआ पर ख़त्म हो उस की बिल्कुल मुख़्तसर तम्हीद होनी चाहिए हम को भी मालूम हो किन से है रौनक़ बज़्म की आप के अहबाब की तफ़रीद होनी चाहिए आप जब चाहें मिरे चुल्लू में तलछट डाल दें कब कहा था महफ़िल-ए-जमशीद होनी चाहिए सज्दा-रेज़ी के लिए इस रहगुज़र में ऐ जबीं नक़्श-ए-पा-ए-दोस्त की तक़लीद होनी चाहिए